भारत में हर कुछ महीनों बाद समाचार की सुर्खियों में डेंगू शामिल हो जाता है. फिर डेंगू से होने वाली मौत, प्लेटलेट्स को चर्चा शुरू हो जाती है. अब ये वक्त एक बार फिर हो गया है. पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक इसके केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दिल्ली में डेंगू की वजह से पहली मौत हो गई है. डेंगू की वापसी से एक सवाल आपके मन में भी आता होगा कि आखिर ऐसा क्या है कि हर कुछ महीनों में डेंगू वापस लौटकर आ जाता है. सरकार की ओर से डेंगू को लेकर काफी खर्चा भी किया जा रहा है, लेकिन डेटा टेली में हर साल आंकड़े बढ़े हुए ही नजर आते हैं और मौत की संख्या भी कम नहीं होती है.
हर साल या कुछ महीनों में आने वाले डेंगू को लेकर कई सवाल है कि आखिर ये हर साल क्यों आ जाता है और क्या सिर्फ भारत में ही इसका प्रकोप है या फिर भारत के बाहर भी लोग डेंगू से परेशान है. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर विदेश में इसका कितना प्रभाव है और वो कौन-कौन से कारण हैं, जिस वजह से हर साल डेंगू लौटकर आ जाता है.
किस मौसम में होती है डेंगू की वापसी?
हर साल एक ऐसा वक्त आता है, जब डेंगू के केस ज्यादा आने लगते हैं. यह वक्त होता है मॉनसून और उसके बाद का वक्त. एम्स के हेल्थ बुलिटेन के अनुसार, यह रोग बरसात के मौसम में और उसके बाद के कुछ महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा होता है. इस दौरान डेंगू के मच्छर ज्यादा एक्टिव रहते हैं और इस दौरान डेंगू के मच्छरों की तादात भी बढ़ जाती है. इस वजह से इसका खतरा भी बढ़ जाता है. इसके बाद जब तापमान 24 डिग्री से नीचे जाता है तो डेंगू मच्छर का लार्वा पनप नहीं पाता और इसके केस कम होने लगते हैं.
भारत में कितनी भयावह है स्थिति?
भारत में पिछले कुछ सालों से डेंगू के केस में लगातार इजाफा हो रहा है और हर साल बड़ी संख्या में इसके केस आ रहे हैं. अगर पिछले 5 साल से देखें तो 2018 में भारत में 101192 केस आए थे, इसके बाद साल 2019 में 157315, साल 2020 में 44585, साल 2021 में 193245, साल 2022 में 233251 लोगों को डेंगू हुआ था. वहीं 2023 में 31 जुलाई तक 31464 केस आ गए थे. इसके बाद फिर से डेंगू के केस बढ़ने लग गए हैं और पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में डेंगू के 3000 केस हो गए और पश्चिम बंगाल में तो ये केस 38 हजार के पार पहुंच गए हैं.
इसके साथ ही हर साल डेंगू की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है. साल 2018 में 172, साल 2019 में 166, साल 2020 में 56, साल 2021 में 346, साल 2022 में 303 लोगों की मौत हो गई थी.
क्या दूसरे देशों में भी होता है डेंगू?
ऐसा नहीं है कि डेंगू सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में इसका प्रभाव है. यहां तक कि अमेरिका से लेकर यूरोप भी इस खतरनाक बीमारी से परेशान हैं. डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के करीब 100 देश ऐसे हैं, जहां डेंगू के केस पाए गए हैं. इस रिपोर्ट के हिसाब से अफ्रीका, अमेराका, साउथ ईस्ट एशिया, वेस्टर्म पेसिफिक रिजन में काफी डेंगू के मरीज हैं और अब इसका प्रभाव यूरोप में भी है. ब्राजील, कोलोमंबिया, फिजी, केन्या में भी इसके केस हैं. हालांकि, एशिया में कुल केस के 70 फीसदी केस हैं.
दुनिया की आधी आबादी को डेंगू का खतरा?
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल दुनियाभर में 100-400 मिलियन को डेंगू का इंफेक्शन होता है. दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी को डेंगू होने का खतरा है और ऐसे लोगों की संख्या 3.9 बिलियन तक है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दुनिया में किस तरह से डेंगू बढ़ रहा है.
क्यों इसे कंट्रोल नहीं कर पा रही दुनिया?
डेंगू के केस हर साल आने के पीछे कई वजह है और इस कंट्रोल करने के लिए उपचार से ज्यादा इसके बचाव पर ज्यादा काम करना होगा. हर साल बढ़ने वाले डेंगू के केस को लेकर पीएसआरआई हॉस्पिटल की सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर नीतू जैन ने बताया कि इससे बचाव ही इसका इलाज है. उन्होंने बताया, ‘डेंगू का कम होना दवाइयों में निर्भर नहीं करता है और इसके लिए बचावा करना जरूरी है. इसके बचाव का तरीका ये है कि मच्छरों को बढ़ने से रोका जाए और उनके काटने से बचा जाए. इसके लिए पानी जमा ना होना या फिर कई ऐसी प्रेक्टिस हैं, जिनसे मच्छरों को रोका जा सकता है.’
उन्होंने आगे बताया, ‘सरकार भी लगातार इसके लिए एडवाइजरी जारी करती है और बताती है कि मच्छरों से कैसे बचाया जाए और विज्ञापनों के जरिए इसकी जानकारी भी दी जाती है. सरकार भी इसके बचाव के लिए लोगों को जागरुक कर सकती है और सार्वजनिक स्थानों पर पानी भरने से रोक सकती है या सार्वजनिक स्थानों पर मच्छर जमा होने पर रोक सकती है. इसका बचाव का ये तरीका है कि अपने लेवल हर आदमी मच्छरों से बचें.’
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मच्छरों के लिए भी हर बार एक ही दवाई काम नहीं करती है. ये एक एंडेमिक बीमारी है. इसके अलावा डेंगू के कई टाइप होते हैं और ये हर सीजन में बदलते रहते हैं. जिस तरह का डेंगू मरीज को होगा, उसके हिसाब से बीमारी की गंभीरता देखी जाएगी. इसके साथ ही जैसा माना जाता है कि प्लेटलेट्स कम होने की वजह से लोगों की मौत होती है, लेकिन ऐसा नहीं है. बस ये ध्यान रखना होता है कि प्लेटलेट्स जब कम हो, उस दौरान कोई ब्लीडिंग ना हो. वैसे लोग शॉक में चले जाते हैं और उनका लिवर खराब हो जाता है, जिस वजह से उनकी मौत हो जाती है. शॉक और लिवर की वजह से ज्यादा मौत हो जाती है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि डेंगू पर कंट्रोल सिर्फ बचाव के जरिए ही हो सकता है और इसे पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है. साथ ही जहां तक डेंगू से होने वाली मौतों की बात है तो ये डेंगू के साथ ही शॉक, लिवर की वजह से होती है.