दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजनों में से एक आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की आज 5 अक्टूबर से शुरुआत हो रही है. इस आयोजन को दुनिया के कई देशों में करोड़ों लोग देखते हैं. ऐसे में यह आयोजन सिर्फ क्रिकेट टीमों की प्रतिस्पर्धा न रहकर, दिग्गज कॉरपोरेट का अखाड़ा भी बन जाता है. एक साथ मिलने वाले करोड़ों दर्शकों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े कॉरपोरेट पानी की तरह पैसे बहाते हैं.
इस कारण कंपनियों में कंपटीशन
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि 5 अक्टूबर से शुरू हो रहा यह आयोजन नवंबर के मध्य तक चलने वाला है. करीब डेढ़ महीने की इस अवधि में कुल दर्शकों की संख्या एक करोड़ के पार निकल जाएगी. दर्शकों में बड़ी संख्या भारतीय लोगों की होगी, जो इस बार वर्ल्ड कप का मेजबान भी है. आबादी के लिहाज से भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. ऐसे में क्रिकेट वर्ल्ड कप तमाम वैश्विक कंपनियों के लिए अरबों के लोगों के इस उभरते बाजार पर दस्तक देने का शानदार जरिया है.
पिछले विश्वकप से इतना बढ़ा रेट
रिपोर्ट में बैंक डिलॉयट इंडिया के पार्टनर जेहिल ठक्कर के हवाले से बताया गया है कि इस बार वर्ल्ड कप में विज्ञापनों की दर बहुत बढ़ी है. इस बार 10 सेकेंड के स्लॉट के लिए कंपनियों को 30 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. यानी हर एक सेकेंड के विज्ञापन की लागत करीब 3 लाख रुपये है. यह पिछले विश्व कप की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा है. पिछले क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन 2019 में हुआ था.
हर साल खर्च होते हैं अरबों डॉलर
बकौल ठक्कर, पूरे आयोजन के दौरान तमाम ब्रांड सिर्फ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन के स्पॉट पाने के लिए 240 मिलियन डॉलर यानी करीब 2000 करोड़ रुपये खर्च करने वाले हैं. दरअसल इसका एक बड़ा कारण है कि क्रिकेट 1.4 अरब की आबादी वाले देश भारत में सबसे लोकप्रिय खेल है. रिसर्च फर्म जेफरीज के अनुसार, इस कारण क्रिकेट पर हर साल कंपनियां विज्ञापन व स्पॉन्सरशिप आदि पर 1.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करती हैं, जो भारत में कुल स्पोर्ट्स स्पेंडिंग के 85 फीसदी के बराबर है.
ये बड़े ब्रांड कर रहे हैं खर्च
वर्ल्ड कप के दौरान विज्ञापनों पर खर्च कर रहे ग्लोबल ब्रांड में कोका-कोला कंपनी, अल्फाबेट इंक की गूगल पे और यूनिलीवर पीएलसी की भारतीय इकाई हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, सऊदी अरामको, एमिरेट्स और निसान मोटर कंपनी जैसे बड़े नाम शामिल हैं.